Lunar Mission में नई क्रांति China and Russia ने मिलकर एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। दोनों देशों की योजना है कि वो 2035 तक Moon की सतह पर एक Nuclear Power Plant बनाएंगे। यह शुरुआत उनके साझेदारी International Lunar Research Station (ILRS) मिशन का हिस्सा है। यह Nuclear reactor Moon के दक्षिणी ध्रुव (South Pole) के पास बनाया जाएगा, जो ILRS को स्थायी ऊर्जा सप्लाई करेगा.
Autonomous Construction of Moon

इस reactor का निर्माण पारंपरिक तरीकों से नहीं, बल्कि हाईटेक autonomous robotic technologies की मदद से पूरी तरह ऑटोमैटिक रूप से किया जाएगा। इसका मेन मकसद है मानव हस्तक्षेप को मामूली रखना ताकि Moon जैसे चुनौतीपूर्ण और कठिन वातावरण में भी निर्माण कार्य सुरक्षित और सावधानी से पूरा किया जा सके। Moon की कठोर परिस्थितियाँ, जैसे ज्यादातर तापमान अंतर और लगभग 14 दिन लंबी रातें, energy supply को बड़ी चुनौती बनाती हैं। ऐसे में यह nuclear reactor एक सतत और भरोसेमंद ऊर्जा स्रोत के रूप में कार्य करेगा, जिससे ILRS की सभी आवश्यक योजनाएँ लगातार रूप से चलती रहेंगी.
Why Nuclear Energy on the Moon?

Moon पर nights लगभग 14 Earth days तक चलती हैं, जिसके दौरान सूर्य की रोशनी नहीं मिलती। ऐसे में solar panels energy supply के लिए काफ़ी नहीं होते। इसलिए Nuclear energy एक sustainable और reliable source साबित हो सकती है। यह reactor ILRS को constant power supply देगा, जिससे वहाँ scientific research, communication और life-support systems निरंतर कार्यरत रह सकेंगे.
China-Russia: A Permanent Base on the Moon

China और Russia का ILRS एक futuristic योजना है जिसका लक्ष्य Moon के South Pole पर एक permanent base स्थापित करना है। इसमें शामिल होंगे:
- Command Center: मिशन की निगरानी और नियंत्रण के लिए
- Communication Hub: Earth और Moon के बीच data transfer के लिए
- Scientific Research Facilities: Lunar surface पर अलग अलग scientific experiments और खोज के लिए
Strategic Importance of the South Pole Moon का South Pole इसलिए चुना गया है क्योंकि यहाँ पानी की बर्फ (water ice) के संकेत मिले हैं। यह ice future lunar missions के लिए drinking water, oxygen और rocket fuel के source के रूप में इस्तेमाल हो सकती है। इसके अलावा, यह क्षेत्र scientific research के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है.
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China-Russia Collaboration New Global Space Race
China और Russia की यह साझेदारी न केवल वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति का प्रतीक है, बल्कि यह global space race में एक नया और निर्णायक अध्याय भी जोड़ती है। जहां अमेरिका का Artemis Program मुख्य रूप से Moon पर मानव भेजने और वापस लाने पर केंद्रित है, वहीं China-Russia का ILRS Mission Moon की सतह पर एक स्थायी और दीर्घकालिक उपस्थिति (long-term lunar presence) स्थापित करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। यह दृष्टिकोण भविष्य के अंतरिक्ष अन्वेषण और संभावित चंद्र कॉलोनियों की नींव रख सकता है.
The Confluence of Technology and Innovation

ILRS और Nuclear Power Plant प्रोजेक्ट में कई cutting-edge technologies का इस्तेमाल होगा जैसे:
- AI-based autonomous robots
- Modular construction systems
- Advanced radiation shielding
- Energy storage and distribution systems
इन सभी innovations का उद्देश्य है Moon पर एक self-sustained environment तैयार करना, जो भविष्य में human colonization की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकता है.
Conclusion
China और Russia का यह mission सिर्फ एक और space project नहीं, बल्कि एक visionary step है जो Moon पर इंसानी मौजूदगी को टिकाऊ बनाने की दिशा में विकासशील है। Nuclear Power Plant इस मिशन की backbone साबित होगा, जो Moon की लंबी nights के दौरान ILRS को essential energy प्रस्तुत करेगा.
2035 तक अगर यह योजना सफलतापूर्वक पूरी होती है, तो यह न केवल space exploration में एक नया युग लेकर आएगी, बल्कि यह ग्लोबल स्तर पर technological leadership और अंतरिक्ष में रणनीतिक अधिकार को भी नया रूप देगी.