1 फरवरी 2025 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अपना आठवां बजट और मोदी सरकार 3.0 के तहत दूसरा पूर्ण बजट पेश करेंगी। यह बजट भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि हाल के महीनों में ग्रोथ स्लो हुई है, महंगाई बढ़ी है और कंजम्पशन स्पेंडिंग में गिरावट आई है। इस बजट से सबसे अधिक उम्मीदें मिडिल क्लास टैक्सपेयर्स को हैं, जो लंबे समय से इनकम Tax कटौती की मांग कर रहे हैं। क्या सरकार इस बार टैक्स स्लैब में राहत देकर इकोनॉमी को बूस्ट करेगी?
Economic Challenges: Inflation and sluggish growth pose a challenge
पिछले कुछ महीनों में भारतीय अर्थव्यवस्था को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा है। इन्फ्लेशन (Inflation) लगातार ऊंचे स्तर पर बना हुआ है, खासकर फूड प्राइसेस में तेजी देखने को मिली है। दिसंबर 2024 में फूड इन्फ्लेशन करीब 9% थी, जिससे रोजमर्रा की जरूरतों की कीमतें बढ़ी हैं.

- खपत (Consumption) घटी है, जिससे लोग कम खर्च कर रहे हैं.
- कारों की बिक्री (Car Sales) घटी है, खासकर अक्टूबर-नवंबर में जब आमतौर पर फेस्टिवल सीजन में बिक्री बढ़ती है.
- पर्सनल लोन की डिमांड घटी है, जिससे संकेत मिलता है कि लोग बड़े खर्च करने से बच रहे हैं.
GDP ग्रोथ भी धीमी हो गई है, जिससे RBI को अपने ग्रोथ फोरकास्ट को कम करना पड़ा। ऐसे में सरकार को कदम उठाने होंगे ताकि डिमांड और कंजम्पशन को बढ़ावा मिले.
Income Tax Relief: Will the government reduce taxes?
इस बजट का सबसे बड़ा सवाल यही है – क्या इनकम Tax में कटौती होगी? वर्तमान में भारत में केवल 2% लोग ही इनकम टैक्स भरते हैं, लेकिन ये करदाता देश के कुल टैक्स रेवेन्यू का 27% योगदान देते हैं। इनमें ज्यादातर मिडिल क्लास से आते हैं, जो महंगाई और सुस्त आर्थिक विकास के बीच राहत की उम्मीद कर रहे हैं। बढ़ती लागत और घटती डिस्पोजेबल इनकम के कारण उनकी क्रय शक्ति प्रभावित हुई है, जिससे सरकार पर कर राहत देने का दबाव बढ़ गया है |

मिडिल क्लास की मुख्य उम्मीदें Tax स्लैब में कमी या छूट की सीमा (Exemption Limit) बढ़ाने से जुड़ी हैं। खासतौर पर 10-20 लाख रुपये की सालाना आय वाले करदाताओं को राहत मिलने की संभावना है। अगर Tax दरों में कटौती की जाती है, तो आम जनता के हाथ में ज्यादा पैसा बचेगा, जिससे उपभोग बढ़ेगा और बाजार में डिमांड को मजबूती मिलेगी। इससे अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी और सरकार को अप्रत्यक्ष कर संग्रह (GST आदि) के माध्यम से राजस्व की भरपाई करने का मौका मिलेगा |

Possible Tax Reforms: What options does the government have?
जानकारों का मानना है कि सरकार दो ऑप्शन अपना सकती है, Tax स्लैब्स में कमी या एग्जेम्प्शन लिमिट बढ़ाना। टैक्स स्लैब घटाने से करदाताओं की देनदारी कम होगी, जबकि छूट की सीमा बढ़ाने से छोटे करदाताओं को राहत मिलेगी, जिससे उनकी डिस्पोजेबल इनकम बढ़ेगी और उपयोग को बढ़ावा मिलेगा.
हालांकि, टैक्स कटौती से सरकार के राजस्व पर असर पड़ेगा, लेकिन यह आर्थिक गतिविधियों को पुनर्जीवित करने में मददगार हो सकता है। प्रमुख ब्रोकरेज फर्म्स Citi और Jefferies भी इस कदम का समर्थन कर रही हैं, क्योंकि इससे आम जनता को राहत मिलेगी और बाजारों में सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.
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Key Sectors: Which sectors have expectations from the budget?
इस बजट में टेक, हेल्थकेयर, फाइनेंस और इंश्योरेंस सेक्टर्स को राहत मिलने की उम्मीद है। टेक्नोलॉजी सेक्टर में स्टार्टअप्स और डिजिटल इंडिया को बढ़ावा देने के लिए टैक्स इंसेंटिव्स दिए जा सकते हैं, जिससे इनोवेशन और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे.
हेल्थकेयर सेक्टर में सरकार हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को सुधारने के लिए बजट बढ़ा सकती है, जिससे मेडिकल सुविधाओं में सुधार होगा। वहीं, फाइनेंस और इंश्योरेंस सेक्टर को नए टैक्स इंसेंटिव्स और नीतियों से मजबूती मिल सकती है, जिससे निवेश और वित्तीय समावेशन को बढ़ावा मिलेगा.

Conclusion: Will the 2025-26 Budget bring relief for the middle class?
भारत में इकोनॉमी को रिवाइव करने के लिए मिडिल क्लास को टैक्स में राहत देना एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। इससे न केवल उनकी खर्च करने की क्षमता बढ़ेगी, बल्कि मार्केट और बिजनेस ग्रोथ को भी बढ़ावा मिलेगा। हालांकि, यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार फिस्कल डिसिप्लिन और ग्रोथ बूस्ट के बीच कैसे संतुलन बनाती है.
1 फरवरी 2025 को जब निर्मला सीतारमण बजट पेश करेंगी, तो सभी की नजर इस बात पर होगी कि क्या मिडिल क्लास को इस बार राहत मिलेगी?